चाहत

मोमबत्ती जल रही है
पर उजाला खो गया
अकेले में भी तन्हाईने भी
तन्हा कर दिया

जरासा टुट गया
जरासा रुठ गया
जोडने गये दिल जब
हवाओं ने रुख बदला

ना दवा है काम की
ना दुवा है असरदार
इश्क की बिमारी है
और नफरत का है कारोबार

बातो बातों मे
एक बात निकली
उसे समज मे आये
तभी रात हो गयी

रात मे बुज जाये
ऐसी ये चिंगारी नही
अंधेरे मे मिट जाये
ऐसी ये आशिकी नही

सुबह की प्रतिक्षा नही
ओस की बुंदों की है
चाहत रोशनी की नही
अपनीही विरानगी की है

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