कुछ चीखे
आज कल कुछ चीखे
मुझे सोने नही देती
सपनों मे आकर
उन्हका हक्क मांगती
कुछ चीखे
मुझे सोने नही देती
मै उठ जाता हु
घर से बाहर निकलता हु
बाहर भीड की आवाजे
मुझे जीने नही देती
आज कल कुछ चीखे
मुझे सोने नही देती
बहन की बेटी के लिये
मैंने खिलोना खरीदा था
आज उसकी खामोशी
मुझे बोलने नही देती
आज कल कुछ चीखे
मुझे सोने नही देती
मुझे पता नही क्या होगा
लेकीन इतना बता दू
जो कुछ शेष बचेगा
मुझे ढंग से मरने नही देगा...
जो कुछ शेष बचेगा
मुझे ढंग से मरने नही देगा...
मुझे सोने नही देती
सपनों मे आकर
उन्हका हक्क मांगती
कुछ चीखे
मुझे सोने नही देती
मै उठ जाता हु
घर से बाहर निकलता हु
बाहर भीड की आवाजे
मुझे जीने नही देती
आज कल कुछ चीखे
मुझे सोने नही देती
बहन की बेटी के लिये
मैंने खिलोना खरीदा था
आज उसकी खामोशी
मुझे बोलने नही देती
आज कल कुछ चीखे
मुझे सोने नही देती
मुझे पता नही क्या होगा
लेकीन इतना बता दू
जो कुछ शेष बचेगा
मुझे ढंग से मरने नही देगा...
जो कुछ शेष बचेगा
मुझे ढंग से मरने नही देगा...
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