टूटा हुआ पूल

टुटे हुये पूल के उस तरफ मै था
जहा वक्त ने खुद को बंदी बनाया है 
जहा की हवा मुआवजा देती है 
मरे हुये बच्चे के सर को चुमने वाली मा को
इस वादी मे तो हर दिन एक लाश मिलती है 

अब तो जलते हुये जिस्म कि तासीर भी ठंडी हुई

किसीके चिखने पर
दुसरी तरफ चिंगारी पेट जाती है 
किसीकी फ़र्माइश पर
जमीन पर निशान है हजारो
गिले शिकावे के निशाण मिटते है कभी?
सिर्फ बढते है एक के सात एक
यहा से एक नदी बहती थी उम्मीदों की
मै देखता था खुद को उस बहते पानी मे
सुकून मिलता था दिल को
अब ओ भी सूख गयी

सुना है दुसरी तरफ एक गाव है 
वहा कि मिठ्ठी कुंदन पैदा करती है
सुरज कि रोशनी पसीने के मोती बनाती है
सुनसान रात भी लोरी गाती है
दिये जलते है वहा दुसरोन के उजाले के सात
गम के अंधेरे को भी बाटते है एकसात
यहा तो काला अब्र भी हिरे बरसता है 

उस ओर को जोडना है 
ये टुटा हुआ पूल तामिर करना है 
अब आधा हुआ है…
और अब आधे कि फिक्र भी नही


  

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