नशा
गिली आंखों से प्यार ढुंढना नशा है भरे बाजार में तुझे देखना नशा है ख्वाब भी मिटते है वक्त की लहरों में तेरी याद में बेहता ख्वाब बनना नशा है तस्वीरों का सैलाब गुजरता है खुली पलकों से विरानगी में नशेली निंद को सुलाना नशा है दर्द को बेनक़ाब कर रहे माजी के टुकडे बेनाम दर्द पर तेरा नाम लिखना नशा है मेरी फ़ितरत मे है खामोशी के अनगिनत नगमे प्यार का लब्जो में इजहार करना नशा है यहा आबाद नही है खुशबू खिलते फुल में तेरी अश्कों में मेरा बेखौफ मिटना नशा है तारीकी-ए-शब का जवाब नही विवेक के पास जुगनू बनकर तेरी राह मे खोना नशा है