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जानेवारी, २०१६ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

नशा

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गिली आंखों से प्यार ढुंढना नशा है भरे बाजार में तुझे देखना नशा है ख्वाब भी मिटते है वक्त की लहरों में तेरी याद में बेहता ख्वाब बनना नशा है तस्वीरों का सैलाब गुजरता है खुली पलकों से विरानगी में नशेली निंद को सुलाना नशा है दर्द को बेनक़ाब कर रहे माजी के टुकडे बेनाम दर्द पर तेरा नाम लिखना नशा है मेरी फ़ितरत मे है खामोशी के अनगिनत नगमे प्यार का लब्जो में इजहार करना नशा है यहा आबाद नही है खुशबू खिलते फुल में तेरी अश्कों में मेरा बेखौफ मिटना नशा है तारीकी-ए-शब का जवाब नही विवेक के पास जुगनू बनकर तेरी राह मे खोना नशा है

तुम कहा हो?

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कब्र में मै जीर्ण तुम कहा हो? जख्म में है खुन तुम कहा हो? दश्त मे खोया प्यार खोयी जिंदगी दिल में सास सुन्न तुम कहा हो? तन्हाई का किनारा मै कश्ती टूटी किनारा मौत का जश्न तुम कहा हो? आसमान को छुता गम का पहाड आसमान निला खुद हैरान तुम कहा हो? रोशनी का खंजर अंधेरे का वार बेबस रात बुजदील दिन तुम कहा हो? सफेद तुम्हारी ओढणी मेरा गुलाबी कफ़न बिस्मिल 'विवेक' का मौन तुम कहा हो?

गीत

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तेरी आखो को एक गीत मिल गया मेरी रुह को खोया मेघ मिल गया मेंने समजा गम के गुजरने का मतलब तेरे  चेहरे पर  नया नूर खिल गया मैने ढुंढा दिल के कातिल का पता  तेरे होठों का तन्हा सहारा मिल गया अंधी रात को मिला अंजान साया खिलता हिज्र तेरी पलकों पर मिट गया आसूओं ने बताया रुकने का सबब मतलबी दर्द तेरे बाहो में लिपट गया चांद ने कहा सुरज हार गया मैं ने कहा हारा विवेक जीत गया   

अर्ज

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देख ये सृष्टी खिल गयी इस सजल खुबसुरती के अक्स  से फिर भी तू बेखबर… यही एहसास है तेरा इन्ह लब्जो के एहसास पे शायद सुबह की पहली किरण आशियाना ढुंढते हुये थम जाती होगी तेरी सुरत पर मै कोई आसमानी नही हु जो आफ्ताब की निगरानी करता फिरू मै  तो आशिक, आदमखोर को भी सिकता हु महोब्बत … अब कल्ब का मलबा हुआ है बादलों का पता नही पर एक खयाल है  इन्ह प्यासी आखों मे जिसके कारन ये आब-ए-तल्ख रुख गया है तेरी तस्वीर ने तो पुरा कालचक्र बदल दिया कल तक आजाद था अब बंदी बन गया पर इस खुदगर्ज, पापी, बेशर्म, बुझदिल दुनिया का उन्मुक्त होने से ज्यादा तेरी तस्वीर का उन्मिष बंदी बनना चाहता हु ।