तुम

तुम्हारे साथ दिये जलते है
तुम्हारे साथ दियेभी रोते है

मुर्तीया कभी सास नही लेती
हम अकसर तुम्हे पुजते है

लाल बिंदिया लगाती हो तुम
शरीर पर भी दाग होते है

जिदगी मुनव्वर है आखो मे
खुलने से पहलेही मिटाते है

फुलों की तरहा खिलना था
कली बनते ही तोड देते है


पंछी की तरहा उडना था
चार दिवारों मे बंद करते है

तुम्हारी मुस्कान अनमोल है
चेहरे बाजारों मे बिकते है

नही बनना द्रोपती का कृष्ण
हम तुम्हे गांधारी बनाते है

हमे है आजादी अबद्धता
तुम्हे संस्कार सिखाते है


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