तुम

आईने ने कांच संभाली है
आखो मे तस्वीर बनाई है

फिसलाऊ है तुम्हारी यादे
दिल साहिलसा जज्बाती है

बह रहा है लावा बातों का
रुह की जिल्द कागजी है

सागर भरा है आसूओं से
ख्वाबों से भरी जिंदगी है

मुस्कान सजती है फुलोंपर
बगिचे मे अभी मायुसी है

तुम खोयी हो भाप बनकर
यहा धूपभी अभी सहमी है

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