बोल ऐसे लिख दू

शिप्रा के किनारे
बोल ऐसे लिख दू
निर बहता यही रुक जाये

शिमला की हवाओं मे
बोल ऐसे लिख दू
निला आसमा गुलाबी हो जाये

शिखर पर हिमालय के
बोल ऐसे लिख दु
निडर पहाड बिखर जाये

शिशमहल के मुकूट पर
बोल ऐसे लिख दु
निरस्त्र दर्पण भी चमक जाये



शिशिर के माथे पर
बोल ऐसे लिख दु
निरस फुल भी खिल जाये

शितल छाव के संग
बोल ऐसे लिख दु
निस्तब्ध साया रोशन हो जाये

शिवमुद्रा है रौद्र गंभीर
बोल ऐसे लिख दू
निलकंठ भगवान शांत हो जाये

शिकायत उस तप्त धरती की
बोल ऐसे लिख दू
निराकार भूमि शिल्प बन जाये

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