क्लास

सबकुछ है मेरे क्लास में,
छत है काले बादलों से
बचने के लिये
खिडकीया है
खिलती हवाओं के लिये
धरती है आंचल जैसी
सवरने के लिये
रोशनी है हर तरह की
हर तरह के तम को दूर करणे के लिये
सब कूच है मेरे क्लास में


एक ओ भी है
झुलाफओंसे खेलनेवाली
मिठी मुस्कांनवाली
कातिल अदाओंवाली
उसकी आंखे जैसे ओस के मोती
उसकी बाते जैसी प्यारभारी लोरी
मै देखता हु उसे बेशर्म से हर पल
सोचता हु कभी ना आये कल

कभी कोई रोखही देता है
उससे आनेवाली किरनों को
मै हैराण,
बद्दुवा देता हु उस हर एक शक्स को
फिर भी आंखे ढुंढही लेती है ना रास्ता
जैसे अब्र के बुंदे आसमान को चीर के
मिल जाते है सागर को आहिस्ता आहिस्ता

पुरा बदन होता है बेहोश
जान छुती है उसे नजरोंसे
और कभी मिलती है उसकी नजर
थम जाती है धडकने
रहती है सिर्फ जिस्म की चद्दर

खला हु मै, खला है ये क्लास
उसके बिना ये कुदरत भी खला है






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