बेहतरीन अद्भुत खूबसूरती

ये कुदरत की बेहतरीन अद्भुत खूबसूरती
जिसके ऊपर कायर भी हो निसार
मै तो मरीज दिल का
उसके नशे में, इस मैख़ाने  में कब का गया हार
अब फ़रिश्ते भी आजाये ले जाने
जन्नत में
नहीं जाना इस कुदरत के करिश्मे को छोड़ के




वो खफा हो तो भी इनायत होगी
उसको देखने के लिए ही आंख इबादत है करती
और जब मिलती है आंख उसकी
तो भूल जाता हु सौदा
जो किया था मौत से भी
टूटते हुए तारे, गिरते हुए बुँदे
क्या किनेंगे मेरी मुहब्बत, मेरी ख्वाईश
उसकी सूरत ही है रुतबे का पैमाना

यहाँ कोई रकीब नहीं है
पर आशिकों का जमघट निकालता है
हर सुबहा, शाम
मुझे उन से भी शिकायत नहीं है
है तो वो घुस्सा खुद पर
बुजदिल होने के लिए
डर लगता है
उस खूबसूरती की क़ायनात खोने का
अधिकार नहीं चाहिए
चाहिए सिर्फ एहसास उसके होने का

वो एहसासही काफी है जीने के लिए
तो जीने  दे इस मैख़ाने में, क़ायनात में
प्यार का प्यालाही बहोत है
उसकी खुबसुरती पीने के लिए 

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