एक लडकी गुलाबी छत्रीवाली..

एक लडकी
गुलाबी छत्रीवाली
रग से सावली
सुरत से भोली
चले तो निखर जाये
तिरगी से चांदणी

आखे नशेली
अदाओंसे भरी
जैसे पिघलती हो शमा
जहा जलती हो रोशनी

भिगे बदन पर बुंदों के संग
हवा ऐसे है थिरकती
मानो उंगलीया छुती हो सारंगी
और नाचती हो रागिनी

बाते उसकी
ऐसी नशेली
बिनाघाव के
बेहोश है करती

धुप के साथ अब
रास्तोंपर भीड बढ गयी
भीड मे ओ कही खोई है
वैसे ये बात है पुराणी
भीड मे महोब्बत गुम होती है
तो धुप मे चांदणी

अब इंतजार है बारिश का
क्या पता फिर से दिख जाये
एक लडकी
गुलाबी छत्रीवाली...

टिप्पण्या

या ब्लॉगवरील लोकप्रिय पोस्ट

महाराष्ट्रदिन

Atheist having spiritual experience

क्रांती