पहली बार

देखा जब तुम्हे पहली बार
रास्ते के दाईन ओर जहा भीड थी
वहा खडे थे तुम
खिलते मोगरे के बाजु मे
कुछ बाते कर रहे थे किसी के संग
बाते सुनते सुनते हम वहा आये
कहा तुम्हारा नाम क्या है?
खिलता हुआ मोगरा नि:स्थब्ध हो गया
रास्ते का दाईना ओर शांत हो गया
इस शांती मे लब्ज शांती से
तुम्हारे पास आये होग़े शायद
तुम्हारे लब्जों की राह देखते देखते
मोगरा फिर से खिलने लगा
दाईं ओर रास्ता फिरसे चलने लगा
मैने फिरसे पुछा
नाम क्या है तुम्हारा
तभी मुडकर देखा तुम्हने
हमनेभी चुपचुपकर कुछ देखा
देखते देखते तुम्हने कुछ कहा
हम कुछ बोल दे
इतने मे तुम्हने रुख बदला
रास्ते के उस ओर आसमान खुला था
यहा बादलों का साया था
अब साया टुटने लगा
बारिश की बुंदे बरसाने लगा
बारिश मे शायद तुम कुछ ढुंढ रहे थे
ढुंढते ढुंढते उस ओर चले गये
उस ओर धीमा उजाला था
इस ओर शाम का धीमा अंधेरा था
यहा मोगरा भीग गया
रास्ता सुमसान हो गया
इस माहोल मे तुम दुर जाने लगे
पानी की धार मे तुम्हारे कदमों के निशाण
अपनी राह बनाकर चले गये..
हर सुबह रोशनी क्षितिज के उसपर आती है
आखों के दरारों मे अपना आशियाना बनती है
हम भी आते है हर सुबह अपना आशियाना तलाशने
और तुम्हे देखते देखते रात मे खो जाते है

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