दूसरा दिन... मंजूर नही
पल मे भिगोना
पल मे भाप होना
ये ‘बारिश’, ये समझदारी
मंजूर नही
हकीकत की तरहा आना
कहाणी बनकर रह जाना
ये ‘इश्क’, ये ईमानदारी
मंजूर नही
मेरे संग ज़िंदगी बिताना
दुसरों के लिये टुटना
ये ‘दिल’, ये बेवफाई
मंजूर नही
हूर बनकर आ जाना
और तन्हा कर देना
ये ‘खुदा’, ये खुद्दारी
मंजूर नही
सागर मे दुर कही दिख जाना
मिलन के वक्त दुर चले जाना
ये ‘आसमॉ’, ये यारी
मंजूर नही
मोहब्ब्त मे तेज दौडना
विरानगी मे रुक जाना
ये ‘वक्त’, ये गद्दरी
मंजूर नही
मेरे लिये धडकना
अजनबी के लिये थम जाना
ये ‘सॉस’, ये साजेदारी
मंजूर नही
इतने सारे रूप लेना
फिर भी खुदमुख्तार रहना
तुम्हारी ये अदाकारी
मंजूर नही
पल मे भाप होना
ये ‘बारिश’, ये समझदारी
मंजूर नही
हकीकत की तरहा आना
कहाणी बनकर रह जाना
ये ‘इश्क’, ये ईमानदारी
मंजूर नही
मेरे संग ज़िंदगी बिताना
दुसरों के लिये टुटना
ये ‘दिल’, ये बेवफाई
मंजूर नही
हूर बनकर आ जाना
और तन्हा कर देना
ये ‘खुदा’, ये खुद्दारी
मंजूर नही
सागर मे दुर कही दिख जाना
मिलन के वक्त दुर चले जाना
ये ‘आसमॉ’, ये यारी
मंजूर नही
मोहब्ब्त मे तेज दौडना
विरानगी मे रुक जाना
ये ‘वक्त’, ये गद्दरी
मंजूर नही
मेरे लिये धडकना
अजनबी के लिये थम जाना
ये ‘सॉस’, ये साजेदारी
मंजूर नही
इतने सारे रूप लेना
फिर भी खुदमुख्तार रहना
तुम्हारी ये अदाकारी
मंजूर नही
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