कमी है

रात बहोत लंबी है 
इतनी की रोशनी का मतलब भूल गये
ये फुल, पंछी, पत्ते, वादिया
तूने मिटायी तेरी यादों की कमी है 

निशाचर बनते फिरते है बुजे हुये दीपस्तंभ
मै चलता हु उनके सहारे
गाणे गाते है हम दोनो खामोशी के 
तूने चुराये तेरी बातों की कमी है 

मेरी नजर के सामने है सिर्फ अंधेरा 
तन्हाई चमक रही है उसके साथ 
ना कोई तमन्ना है ना कोई ख्वाइश
तूने छिनी तेरी तस्विर की कमी है 

दिख नही रहा कुछ
सूखी है कलम की स्याही भी 
इतनी गहरी अमावास कभी न थी
तूने छुपाई तेरी खुबसुरती की कमी है

फिर भी दिल कहता है की 
रात जा ने को है, उजाला हो ने को है 
मे तो पूरब में आया हु 
तूने ठुकराये तेरी हा की कमी है  
  

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