रास्ते की दास्तान

बटवारा हुआ था कुछ साल पहले
होली खेली थी कुछ रंगों मे
बटवारा कुछ इस तरहा हुआ
की मेरा दिल टुटा
एक हिस्सा लाहोर तो
दुजा दिल्ली जा गिरा

असल मे रिश्ते अभीभी है पाकीजा
एक ओर गिरता है बच्चा
तो दुसरी ओर रोती है मा
उस बच्चे के दर्द की
उस मा के आसू कि
मरम्मत करते करते मै थक गया
इतना थक गया की
दिल धीरे से धडकने लगा
इतना की दिल से दिल मे जाने के लिये
सास को भी व्हिसा लगने लगा



दुनिया सिर्फ जंग ही देखती है
लेकीन ना उस बच्चे ने शरारत कि कभी
ना उस मा ने डाटा कभी
ये प्यार दुनिया को समझाते समझाते
मै सच मे थक गया

जिस्म को लिपटे कुराण के जलते पन्ने,
टूटी हुई मुर्तीया
और सरहद्द पार कर चुकी खामोशीया
इन्ह सब के साथ जीते जीते
लहोर दिल्ली से दुर चला गया
और... मै लावारिस हो गया


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