दंगा

बहोत धुआ हुआ था कल
शायद लाशे जल रही होगी हजार
धरती भी हिल रही थी कल
शायद कब्र खोदे होंगे हजार
मौत का तांडव देखा था कही
तो कही जश्न
उस जश्न मे मु छुपाये
देखो भगवान भाग रहा है
और मौत की चिंगारी पैर छुने
दौड रही है

यहा सन्नाटा ठिक नही लगता
और शोर करना मना है
यहा अंधेराभी है मायुस
और रोशनी तो गुम हुयी है
और मै इन्ह खुनी मलबे मे चल रहा हु
ढुंढ रहा हु आदमी की तस्विरे
खोज रहा हु बरी की गयी चिजे
अब तो हाल यैसा है की
आधे दिल को दिमक है तो
आधा दिल पत्थर है
रात तो बदसुरत थी हि
लेकीन ये आसमा तु कब से बन गया बुज्दिल
खामोश रहा कातिलों पर
धिक्कारहै तेरी रोशनी का


अब बहोत दुर गया हु
लेकिन वापस आऊंगा जरुर
बादलों की गर्जना लेके सन्नाटा मिटाने
अफ्ताब के अक्स लेके अंधेरा बुझाने
डरे हुये आसमा को होसला देने ..
इस धुऐ ने
हिलती हुई धरती ने
कुछ तो अच्छा किया है....

टिप्पण्या

या ब्लॉगवरील लोकप्रिय पोस्ट

Atheist having spiritual experience

माझ जग

Day one...