आनंद हो तुम

फलक तक फैला हुआ आनंद हो तुम
जिंदगीसे दुर फिर भी जीवन हो तुम

सदियों से रात ही है यहा अमावस की
दुसरे आसमान मे छुपा कंचन हो तुम

अभी तक इश्क का सुराग नही मिला
उम्मिद की आखरी किरण हो तुम

ये राह सुनी बेबस है ये सारा जहा
मोहब्बत एक खुशबू, चंदन हो तुम

दरारे है माथेपे जैसी हात की लकीरे
खोया था चेहरा हमसे, मिलन हो तुम

हमारा दिल था एक टुटा आशियाना
पहाडसा ओजस्वी आंगण हो तुम

रुठ गया था विवेक हमसे भी कभी
उसे हमसे बांधनेवाला बंधन हो तुम

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