तुम

थंडे दिल मे आग लगाना कोई तुम से सिखे
यतिम बने रुह को अपनाना कोई तुम से सिखे

झिल का पानी मिल रहा है सागर को धिरे धिरे
अंजान बनकर पहेचान बनाना कोई तुम से सिखे

काटें भी चुभते नही आज कल इस रेगिस्थान मे
गुलाब दे कर दिल खरोचना कोई तुम से सिखे

आसमां भी मिलाता है सुरज को चांद से
इकरार करके दुरी बढाना कोई तुम से सिखे

इस इन्तेहा की हद तो देखो वक्त रुक गया
हसते हसते आसु बन जाना कोई तुम से सिखे

लब और लब्ज मे ये कोनसी दूरी है?
नजर झुकाए नयी शायरी हो जाना कोई तुम से सिखे

गाते गाते मर गया है विवेक अभी खुशी से
गले लगाकर कत्ल करना कोई तुम से सिखे

टिप्पण्या

या ब्लॉगवरील लोकप्रिय पोस्ट

महाराष्ट्रदिन

Atheist having spiritual experience

क्रांती