तुम
तुम मोहब्बत बन जाना मिर्झा-साहिबां की
मै खाली दिल बन जाऊंगा फिर बसना इस मुरजे दिल मे
बंजर जमीन को नई पेहचान देना
तुम अंकुर बन जाना पुराने किले पर
मै बेहता किरन बन जाऊंगा
तुम युही खिलती रहना कली की तरहा
मै युही तुम्हारी झुलफे लहराता फिरुंगा
तुम मिठ्ठी बन जाना खेतों की
मै बारिश का बुंद बन जाऊंगा
फिर मै गिरुंगा आवरगी से
तुम पहली बारिश की खुशबू देना
तुम चांद बन जाना पूर्णिमा का
मै सुनी रात बन जाऊंगा
फिर मै बनुंगा बेबस माथा
तुम चमकता तिलक बन जाना
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