मिलना यहा
कल जाते जाते इस रास्ते के
इसी चौराहे पर रुक जाना रुकना और थोडी देर
फिर इस तस्विर को हलके से मिटाना
मिलना यहा तुम मै युही दिखुंगा
इस शजर से भी बाते करना
कभी कभी इन्ह शाखाओं को भी छुना
महसुस करना इन्हकी धडकने
बिना दिल तोडे आगे जाना
मिलना यहा तुम मै युही दिखुंगा
आदत बनाना इस अकेलेपन की
जिनके कोई नही होते अपने
उन्ह दिवारों के भी होते है कुछ सपने
अपने नही, उन्हके तो सपने देखना कभी
मिलना यहा तुम मै युही दिखुंगा
न जाने कोनसा रंग लेंगे
ये ओस की बुंदे
न जाने तू वही होगी
जो थी कल मेरी यादों में
मिलना यहा तुम मै युही दिखुंगा
फिर भी कभी याद आये
तो झील के पास आना
फिर शांत होने दे सब कुछ
पानी में देखना ढुंढ लेना
मिलना यहा तुम मै युही दिखुंगा
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