ले आना

रात मे सुरजमुखि से गम ले आना
पुरब की सुबहा से सीतम ले आना

अमावस की रात ढल गयी कब की
चांद बनकर तू अभी पुनम ले आना

अकेले मे साथ है तन्हाई का सफर
खिलती कली बनकर सनम ले आना

काले अब्रने नजर लगाई सुरज को
तु भी कभी काजल का तम ले आना

वसंत की गलियों मे पेड सुक गये
वर्षा की नमी का तू जनम ले आना

विवेक भटक रहा है इस अंजुमन मे
मिले कही तो उससे जखम ले आना

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