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सप्टेंबर, २०१७ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

कुछ चेहरे

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ऐसे ही किसी राह पर मिल जाते है अनगिनत चेहरे कुछ चेहरे साथ चलते है कुछ दुरीया बनाते है हर एक चेहरा अधुरा है हर एक चेहरे मे कमीया है पर ये चेहरे का अधुरापन, ये चेहरे की कमीया कही छुप जाती है एक दुसरे के साये मे जैसे छुप जाते है दाग बादलों के पीछे पलभर का साथ होगा शायद या शायद साथही ना हो हो बस एक अंजान सफर इस अंजान सफर मे भी ये चेहरे बाते करते है खामोशिया भी बाटते है मेरे जैसे कुछ चेहरे यहा भी तन्हा दिखते है कुछ इसी तरहा रंगीन है हर एक चेहरा.. पन्ने पर रंगों को मिलाओ                                                                                            काला रंग बनता है यहा भी अनगिनत रंग है हर एक चेहरे पर लेकिन यहा मिल जाते है रंग तो इंद्रधनुष बनता है.... इंद्रधनुष को मिटना ही होता है हर एक राह को अलग होना ही होता है लेकीन राह भले बट जाये रंग भले अलग हो जाये चेहरे वही रहते है जो कल थे

आजाद राष्ट्र

आजाद हो गये कुछ राष्ट्र कुछ राष्ट्र लोकतांत्रिक हो गये कुछ लोकतांत्रिक हुकुमशाह बन गये और कुछ.. मुहाजिर बन गये..... मासुम थे लोग आजादी का जश्न मना रहे थे असल मे वे आजाद राष्ट्रों के कैदी थे आजाद राष्ट्रोंने मिलकर कुछ पहचाने मिटा दी जिंदा लाश को दो गज जमीन मिल ना पायी कल तक शांत हसमुख थी बौद्ध मुद्रा आज खौफजदा उदास बन गयी

आवाज शांत कर दी गयी।।

और एक आवाज शांत हो गयी गोलीयो कर के शोर मे और एक आवाज शांत हो गयी इस शांती मे जलती मोमबत्तीया डराने लगती है हर एक को है पहचान अपनी अपनी मोमबत्तियां अब उजाला बाटने लगी बाटते बटाते एक दिन अंधेरा हो जाएगा और हम इसी बेबसी के साथ करते रहेंगे सिर्फ इन्तेजार अगली सुबह का कल तुम्हारी मेरी या ऐसेही किसी दूसरे की आवाज शांत की जाएगी धीरे धीरे सब आवाजे शांत की जाएंगी और बचेगी सिर्फ जुबान बिना लब्जों की हम ऐसे 'शांतिप्रिय' समाज में परिवर्तित हो जायेंगे जहा दर्द बयां करना भी होगा एक गुन्हा ऐसे ही किसी शांतिप्रिय समाज के और एक कदम चलने के लिए आज और एक आवाज शांत हो गयी... आज और एक आवाज शांत कर दी गयी।।