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मे, २०१७ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

कुछ इस तरहा आ जाओ यहा

लहराते हुये बाल गालों को जैसे चुमते है कुछ इस तरहा आ जाओ यहा मेहबुब मेहबुबा को बाहो मे जैसे लेता है कुछ इस तरहा आ जाओ यहा कोरा कागज ‘गुलाबी’ जैसे बनता है कुछ इस तरहा आ जाओ यहा बेमतलबी लब्जों से गझल जैसे बनती है कुछ इस तरहा आ जाओ यहा गिरता हुआ अफ्ताब लहरों को जैसे छुता है कुछ इस तरहा आ जाओ यहा दो सासे एक दुसरे से जैसे लिपटती है कुछ इस तरहा आ जाओ यहा सुर्यग्रहण जैसे होता है सुरज भी चांद से जैसे मिलता है कुछ इस तरहा आ जाओ यहा बादल टुटकर जमीन पर जैसे खिलते है कुछ इस तरहा आ जाओ यहा ये रुह कब्र मे जैसे सो जाती है कुछ इस तरहा आ जाओ यहा

यई ओ विठ्ठले

मध्यंतरी विदर्भातील काही गावांच्या अभ्यासाठी मी गेलेलो.. तेव्हा मी जी परिस्थीती बघितली तेव्हा काहीतरी सुचलेल त्यावेळी ज्या ओळी लिहुन ठेवल्या होत्या त्या आता इथे पोस्ट करीत आहे. (सुट्टीचा आणि परिक्षा नसल्याचा हा एक फायदा).. यई ओ विठ्ठले माझे माऊली ये नयनी जीव आणुनी वाट मी पाहे धरणीच्या ह्या भेगा शोधी तुझे रुप कोरड्या पोटी करतो विठ्ठलनामाचा जाप पिवळा पितांबर आता गगनी कोपला आसुडवारी करूनी जिव तुझ्या दारी आला खोटोबांचे राज्य आम्हा रस्त्यावर जाळी दलालांचे दास आता कोणी नाही वाली पाहूणी आक्रोश आमचा तू का गप्प झाला कृपादृष्टी शोधे आम्ही तुझीया पंढरीराया

सरहद

उसे देखकर हर चीज पिघलती है सरहद को शायद कोई चेहरा नही है अंधेरा गहरा है सरहदपर उसे देखना है तो रोशनी चाहिये मै दिया जलाने जाता हु वहा यहा जंग पुरी बस्ती जला देती है फुलोंसे भरा गुलदान भेजता हु उसे कॉटों की माला मिलती है सरहदपर अक्सर गोलीओं की आवाज सुनाई देती है अभी कही ये कहाणी शुरू की है लेकीन यहा आतिश-जनो की कमी नही है बहुत सारी कहाणीया मिटाई है ये भी मिट जायेगी कभी अभीभी है उन्ह कहाणीयों के निशाण इस कहाणी की भी यही कहाणी है क्यु है ये प्यार अंधा क्यु ये नफरत है गुंगी-बहरी ‘ओ’ कुछ देखता नही और.. ‘ओ’ कुछ सुनती नही है पता नही इस ‘जंग’ मे कौन जितेगा पूँछ की तरहा जब दिल नही होगा तब पता चलेगा