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नोव्हेंबर, २०१८ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

मरुस्थल के वंशी है

मरुस्थल के वंशी है हम खेतों में बसते है... धृतराष्ट्र का अंश है जिन में सरकारे बनाते है गांधारी की पट्टी लिए विपक्षी दूसरी ओर खड़े है द्रौपदी बने हम सदियों नंगे है हम खेतों में बसते हैं मरुस्थल के वंशी है हम खेतों में बसते है... काँटों से दोस्ती है हमारी बारिश हमारी माता है धूप की गोद मे खेलते है हम खेतों में बसते हैं मरुस्थल के वंशी है हम खेतों में बसते है... विज्ञान की प्रगती देखो चाँद पर पानी ढूंढा हमारे नसीब में बस रेत मिट्टी और पत्थर मिला हम सदियों से प्यासे है चलो चाँद पर खेती करते है हम खेतों में बसते हैं मरुस्थल के वंशी है हम खेतों में बसते है...

Day one...

जहाँ डूबता है सूरज वहीं से निकलता है कभी? दिल जो तोड़ते है उनसे दिल जुड़ता है कभी? निकलता होगा चाँद रात में रात में चोर निकलता है चोरी किया हुआ दिल कोई लौटाता है कभी? मैं मुझ में ही कैद हूँ लेकिन क्या करूँ खुद से ही कोई बगावत करता है कभी?

हमारी समझदारी

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हमारी गुस्ताख़ी थी उस नजर को इक़रार समझ बैठे हमारी समझदारी थी उन्हें समझदार समझ बैठे हमारी आशिक़ी थी ओ हमें बेकार समझ बैठे हमारी खामोशी थी ओ इश्क़ को झूठ समझ बैठे हमारी जिंदगी थी ओ मज़ाक समझ बैठे इस मज़ाक को हम जिंदगी समझ बैठे उनकी समझदारी समझदारी थी हमारी समझदारी को हम समझदारी समझ बैठे