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ऑगस्ट, २०१८ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

मैं 'बंद' कमरे में 'आज़ाद' हूँ.. Girl Without A Face

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हर मंगलवार मोहल्ले में ख्वाबों का मेला सजाता है... हर मंगलवार कोई बाहर से दरवाजा बंद करता है... मैं आईने के सामने बालों से खेलती रहती हूँ... मैं बंद कमरे में आज़ाद हूँ खिड़की के बाहर आसमान छूते गुब्बारे देख मैं भी छलांग लगाती हूँ... मेरा आसमान छत है मैं दीवारों से टकराती हूँ... फूट जाते है गुब्बारे मैं फिर से खड़ी हो जाती हूँ... मैं बंद कमरे में आजाद हूँ दीवारों के उस पार मुझे जाना है, मैं बार बार टकराती हूँ... उस में दरार आती है, मैं भी घायल होती हूँ... ‘वे’ दीवारों की मरम्मत करते है, मैं मेरी चोट सहलाती हूँ... मैं बंद कमरे में आज़ाद हूँ मैं 'बंद' कमरे में 'आज़ाद' हूँ, मैं कमरे में 'बंद', 'आज़ाद' हूँ.. इकहत्तर साल हो गए, मैं यही हूँ... बाहर से दरवाजा बंद है, और मैं अंदर से घायल हूँ... मैं युही टकराती रहूँगी, कोई दरवाजा खोले या ना खोले, ये दीवार जरूर गिराऊंगी... मैं 'बंद' कमरे में 'आज़ाद' हूँ, मैं कमरे में 'बंद', 'आज़ाद' हूँ..