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जून, २०१६ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

काहीस असच

छेडून मंद जीव हा शब्दांनी घात केला  उरला फक्त एकांत झुला  जसा हलतो सागर खुला  देखण्या सुरांचा नाद हा  घोटून घोटून गायला  प्रतिश्वासांचा जणू हल्ला  श्वासांनी कसाबसा पचवला  आता झुलवता झुलवता  तुटलं आकाश पेटला वणवा  भग्नावस्थाचा हा राग   पेटत्या झाडांनो तुम्हीच मिटवा  ह्या तरल शांततेचा  हा असा सरळपणा  ह्या शांत थंडीतून  'तो' मुसळधार पाझरावा  पाझरलेल्या थंडीतून  शांत व्हावं सार  स्थिरावलेल्या झुल्यावर  निपचित पडाव गार वार  

कुछ रास नही आया

तेरे रोशन चेहरे की रोशनी का ये लम्स इतना सच्चा था की  चल बसा अफ्ताब की तरफ  पर चाँद बनने का  तेरे जमाल का ये खेल  कुछ रास नही आया  जब से ये रात हुई है  मै अपने ही मौत का जनाजा  ले के घूम रहा हू  पर जो पेशलफ्ज मे ही फसे  ओ तेरी कहाणी का कारनामा  कुछ रास नही आया  जिस फुल को छुआ था  तुने भी मैने भी  जिसके काटे चिपके थे  मेरे खुरदरे हातों को   उस फुल का ये हिसाब   कुछ रास नही आया  मरिजे ख्वाब से तुने ख्वाब चुराये  सुबह भी धुंधली हुई  उस सुबह सर्द हातों से  गले लगाकर तेरा उन्ही ख्वाबो को  मेरेपास ही गिरवी रखना  कुछ रास नही आया  बादलों के गिरते उन्ह बुंदों से  रोशनी का तीर सात रंग लेता है    पर इन्ह आसूओ से  तेरे नजर के तीर जाते है  तभी इस बेरंगी दाग का चमकना कुछ रास नही आया  

कातिल

ना कोई लब्ज है ना है कोई  जब्जा पास है सिर्फ तजुर्बा कत्ल होने का  आदत हुई है कातिल की भी  पर डर है की  कातिलों के जमघट में  मेरी प्यार की नज्म ना मर जाये  नफरत के खंजर से  मेरी गज़ल का गला ना कट जाये  तुम तो हो ही  मेरा जिस्म बेदिल ना बन जाये  खुदा ईश्वर भगवान मानने वाले ये दुश्मनो   मै भी काफिर हू  आना यहा भी कभी  कत्ल करना मेरा भी  पर इन्ह हर्फ को सुनने की तमीज रखना  जिन्ह होठों से खून पिते हो कभी उन्हसे किसीके लब भी चुमना 

बारिश

राधा आ कर नाच रही है बारिश मे मेरे साथ भिग भी रही है पर आवाज तो तेरे घुंघरुओं की है तेरे घुंघरू राधा ने चुराये है या तुही आयी है राधा बनकर? बारिश की बुंदों ने पलकों के पिछे छिपाया है तेरी सुरतसा कुछ तेरी गालो की लाली उतर गयी है बुंदोंपर लेकीन बुंदोंने छुपाया है तुझे या तु आयी है बुंदो को लेकर? अभी ठंडी हवाओं का छुके जाना जैसे तेरा बाहों मे आना शजर की शाखाओं का मुस्कुराना जैसे तेरी झुलफों का लेहराना असल मे तुने बारिश लायी है बादलों से मिलकर तेरे साथ की ये बारिश ऐसे ही बरसने दे उन्ह बुंदों का अपनापन दिल की प्यास बुजाता है विरानगी मे भी

ले आना

रात मे सुरजमुखि से गम ले आना पुरब की सुबहा से सीतम ले आना अमावस की रात ढल गयी कब की चांद बनकर तू अभी पुनम ले आना अकेले मे साथ है तन्हाई का सफर खिलती कली बनकर सनम ले आना काले अब्रने नजर लगाई सुरज को तु भी कभी काजल का तम ले आना वसंत की गलियों मे पेड सुक गये वर्षा की नमी का तू जनम ले आना विवेक भटक रहा है इस अंजुमन मे मिले कही तो उससे जखम ले आना

साहिल

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उस ओर भी इक साहिल है वहा से मै कुछ और ही हू मै मेरे अंदर बसे मेरेपन को मेरे इतना जानता हू उससे भी अलग हू कौन धोखा खा रहा है? ये नजर या ओ साहिल? कुछ सवाल अनकहे तो कुछ जवाब अनसुने होते है इस रेत की तरहा बेशक इनको जुबाने होती है पर ये बाते नही करती सिर्फ ये लहरे कुछ बोल रही है मै सून नही पा रहा कुछ अपनासा है इस में मै महसूस नही कर रहा इनका शोर खामोश कर रहा है मुझे ये साजिश है या कोई इत्तेफ़ाक या है लहरों की आवरगी? अब ढुंढते ढुंढते उस ओर आ रहा हु शायद फलक तक जाना पडेगा 

याद रखना

याद रखना जलता आतप यहा का भी... यहा भी रुके थे हम सब कभी पानी रुका था कुछ पल पर उसकी बुंदे मुसलसल गुजर रही है अभी याद रखना जलता आतप यहा का भी अंधेरे से आये थे कुछ अंधे, कुछ रोशन चेहरे भी थे चमक गये कभी तो मयुस हो गये कभी याद रखना जलता आतप यहा का भी किताब के कुछ पन्ने भर गये एक पन्ना ये भी था और भी बचे है पन्ने काफी याद रखना जलता आतप यहा का भी कुछ है तोही कुछ नही है रह गया है कुछ, कुछ हो गया कुछ छुट गया कुछ आना है बाकी याद रखना जलता आतप यहा का भी बहोत सारी चिजे है इस डिब्बे में शायद मीठी होग़ी शायद कडवी चख लेना तुम भी कभी याद रखना जलता आतप यहा का भी... याद रखना जलता आतप यहा का भी

क्यु है

कोई नही है यहा लेकीन हलचल यहा ही है वहा सब है फिर ओ जहॉ सुना क्यु है? मिट्टी है बेबस रुठी है शजर बंजर जमिन है फिर भी यहा बाढ क्यु है? ना कभी देखा है खुदा ना महसूस किया है कभी लेकीन डरता हु मै भी फिर इतने फरिश्ते क्यु है? कही मिर्झा है तो कही लैला गालिब की शायरी भी है फिर इतनी नफरत क्यु है कितने मिम्बर है हर जगहा कितने बाते करते है लोग वहा मै भी सुन रहा हु फिर इतनी खामोशी क्यु है? धुऑ धुऑ हुआ है अब हर तरफ सिर्फ कब्र कब्र और कब्र कातिल ही करते है फैसला फिर इतने मुन्सिफ क्यु है

अरे टिपूसा, टिपूसा

अरे टिपूसा, टिपूसा तुझ्या नावच र गाण आज गातोय रे मी ह्या मातीच्या कुशीत अरे टिपूसा, टिपूसा अशी कशी तुझी खोड माझ्या पापणीतल थेंब आज आटून मेलय अरे टिपूसा, टिपूसा बघ जळलया रान त्याच्या दारात ह्या आज करपलया प्योर अरे टिपूसा, टिपूसा आता नको हा खेळ माझ्या मातीत आता नाव कोरुन टाक अरे टिपूसा, टिपूसा जस चांदण्याच र सोन तुझ्यासंग आज बघ नाचली ही लेकर अरे टिपूसा, टिपूसा आज बरसून जा र माझ्या मायचा पदर आज भरुन टाक अरे टिपूसा, टिपूसा कस फेडु रे पांग तुझी येण्याची हाक माझ्या मायची रे थाप अरे टिपूसा, टिपूसा अस कस भिजवून सोडलस जळती चिता आता विझवून टाक

इत्तेफाक

चुराया तुने दिल और चोर मै बना बारीश तुने लायी अब मोर मै बना खामोशीयों के किस्से सुने थे लाखो सन्नाटा तेरा था अभी शोर मै बना रात ढलते ढलते रात हो गयी यहा तुने पलके झपकी पर भोर मै बना कोसो दुर गया है वक्त भी घडी से तुने दुरी बनाई लेकीन दोर मै बना कभी यादों के पन्ने जालाती थी तू तेरी ओर सास है दुजी ओर मै बना विवेकसे बिछड के तो चली गयी तू इत्तेफाक, शादी तेरी शौहर मै बना

मिलना यहा

कल जाते जाते इस रास्ते के इसी चौराहे पर रुक जाना रुकना और थोडी देर फिर इस तस्विर को हलके से मिटाना मिलना यहा तुम मै युही दिखुंगा इस शजर से भी बाते करना कभी कभी इन्ह शाखाओं को भी छुना महसुस करना इन्हकी धडकने बिना दिल तोडे आगे जाना मिलना यहा तुम मै युही दिखुंगा आदत बनाना इस अकेलेपन की जिनके कोई नही होते अपने उन्ह दिवारों के भी होते है कुछ सपने अपने नही, उन्हके तो सपने देखना कभी मिलना यहा तुम मै युही दिखुंगा न जाने कोनसा रंग लेंगे ये ओस की बुंदे न जाने तू वही होगी जो थी कल मेरी यादों में मिलना यहा तुम मै युही दिखुंगा फिर भी कभी याद आये तो झील के पास आना फिर शांत होने दे सब कुछ पानी में देखना ढुंढ लेना मिलना यहा तुम मै युही दिखुंगा