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फेब्रुवारी, २०१८ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

मै बस निकल ही रहा हु

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मै बस निकल ही रहा हु.. तुम्हारे बाल, जो हवा बनकर मुजसे गुफ्तगू करते थे उन्हसे कुछ बाते करनी बाकी है.. तुम्हारी बिंदीया जो चांद बनकर मुझे गुमराह करती थी और थोडा गुमराह होना बाकी है इतना मुझे करने दो मै बस निकल ही रहा हु.. एक कविता जो अधुरी थी पुरी करनी बाकी है सोचा था उसे बारीश के बुंदो से, आंधी की बेचैनी से मै सजादुंगा... लेकीन लेकीन.. यहा ना आंधी आयी ना बारिश.. बस उन्ह की राह देख रहा उन्हके आने के बाद, कविता पुरी करने दो मै बस निकल ही रहा हु... कुछ सासों का हिसाब बाकी है.. तुम्हारी बातोंसे, तुम्हारे एहसास से तुम्हारी धडकनों से जो कुछ लिया है ओ वापस करना बाकी है हिसाब करके जितनी देनी होगी उतनी सासे तुम्हारे दिलपर रखने दो मै बस निकल ही रहा हु.. कुछ कहाणीया जो सच्चाई के पीछे छुपकर मुझे बहका रही थी फुलों को महका रही थी उन्हसे सच्चाई जानना बाकी है सच्चाई जानना बाकी है ये उलझन समझने दो मै बस निकल ही रहा हु दुर जाने से पहले थोडा रुक जाओ तुम्हारे जाने से पहले मै खुद ही निकल रहा हु मै बस निकल ही रहा हु

मधुबाला और श्रीदेवी

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तू ना जा मेरे बादशाह एक वादे के लिए एक वादा तोड़ के... मधुबाला भी फरवरी मे ही चली गयी थी। अब श्रीदेवी... मुझे अभीभी ये एक अफवा ही लग रही है.. पर वक्त आगे हम सब मजबूर है... सदमा मुव्ही से सफर चालू हुआ मेरा as a sridevi’s fan.. फिर चांदणी, मिस्टर इंडिया, खुदा गवाह, चालबाज, नागीण.. करीब करीब सब मुव्ही मैंने देख ली.. बचपन मे नागीण देखने के बाद मुझे सच मे लगा था की श्रीदेवी एक इच्छाधारी नागीण है.. श्रीदेवी को जब भी हवा हवाई गानेपर नाचते हुये देखता हु तो मुझे भी नाचने का confidence आता है। उसके बाद English-Vinglish की शशी ने दिल पर राज किया। मुव्ही शायद 2012 मे आयी थी। मै 2014 मे मुंबई आया था डिग्री के लिये। मुझे English-Vinglish की शशी ने सीखाया कैसे जीते है। उसे भी English आती नही थी और मुझे भी नही आती थी। मै आज भी English-Vinglish देखता हु.. शशी मुझे विश्वास देती है। श्रीदेवी Thank you so much.. ये सफर कभी खत्म नही होगा.. जब तक घडी के कॉटे चलते रहेंगे, जब तक वक्त दौडता रहेगा, श्रीदेवी नाम का ख्वाब युही ज़िंदा रहेगा... एक ज़िंदा ख्वाब.... 'नागीन 'सी चाल थी आज 'सद

ये चांद यहा भी निकला कर

ये देश है अंधे लोगों का ये चांद यहा भी निकला कर यहा मंगल तक सवारी है सदियो पुरानी भूकमरी है यहा बस्तीभर अंधेरा है और चंद मकानो मे रोशनी है ये देश है अंधे लोगों का ये चांद यहा भी निकला कर NEFT का जमाना है कही छुट्टे का झगडा है कुछ जीते है 4G मे कही जीना एक बहाना है ये देश है अंधे लोगों का ये चांद यहा भी निकला कर रात यहा गहरी है उससे गहरी खामोशी है लोग अंधे है यहा, मगर ख्वाबभरी जिंदगी है ये देश है अंधे लोगों का ये चांद यहा भी निकला कर तुझे देख नही पाते है पर महसूस करते है माना की मायुस है मगर अभीभी नही हारे है ये देश है अंधे लोगों का ये चांद यहा भी निकला कर टुट जा लेकीन ऐसे मत फसाया कर जुगनू की तरहा ना सही युही जी ले आईना दिखला कर कोई साथी नही है रात मे अब तु तो मत अकेला कर ये देश है अंधे लोगों का ये चांद यहा भी निकला कर

दूसरा दिन... मंजूर नही

पल मे भिगोना पल मे भाप होना ये ‘बारिश’, ये समझदारी मंजूर नही हकीकत की तरहा आना कहाणी बनकर रह जाना ये ‘इश्क’, ये ईमानदारी मंजूर नही मेरे संग ज़िंदगी बिताना दुसरों के लिये टुटना ये ‘दिल’, ये बेवफाई मंजूर नही हूर बनकर आ जाना और तन्हा कर देना ये ‘खुदा’, ये खुद्दारी मंजूर नही सागर मे दुर कही दिख जाना मिलन के वक्त दुर चले जाना ये ‘आसमॉ’, ये यारी मंजूर नही मोहब्ब्त मे तेज दौडना विरानगी मे रुक जाना ये ‘वक्त’, ये गद्दरी मंजूर नही मेरे लिये धडकना अजनबी के लिये थम जाना ये ‘सॉस’, ये साजेदारी मंजूर नही इतने सारे रूप लेना फिर भी खुदमुख्तार रहना तुम्हारी ये अदाकारी मंजूर नही

पहला दिन

तुम्हारे संग हसना इब्तिदा थी तुम्हारे बिन मुस्कुराना इंतेहा है तुम्हारे संग खामोशी गीत थी तुम्हारे बिन खामोशी अमीत है तुम्हारे संग मधुर नज्म थी तुम्हारे बिन नज्म अयुग्म है तुम्हारे संग शाम शुरूआत थी तुम्हारे बिन शाम एक अंत है तुम्हारे संग चांदणी बिंदिया थी तुम्हारे बिन चांदणी बुझता दिया है तुम्हारे संग जिंदगी, तुम और तुम्हारी बाते थी तुम्हारे बिन जिंदगी, सिर्फ तुम और तुम्हारी बाते है