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एप्रिल, २०१८ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

India-भारत

कुछ मकान आसमान को छू लेते है कुछ लोग आसमान को ही छत बनाते है खुलती है Starbuks, CCD की दुकाने कदम कदम पर अस्पताल से दूर हर दिन कुछ लोग मर जाते है कुछ लोग hair oil मे protein ढुंढते है यहा कुछ बच्चे protein के बिना ही जी लेते है Front page पर छपती है खबरे Indian Premier League की अफबारवाले भारतीय किसान मोर्चे की black and white तस्वीरे आखरी पन्ने पर चिपकाते है India की अमीरी मे लोग खाने का शौक रखते है भारत की गरीबी मे लोग भूखे सो जाते है

आजतक

आजतक कभी आसमान मे टुटता तारा नही देखा मैंने उसकी आखो मे काजल फैलते हुए देखा... मैंने उसकी आखे देखकर मन्नते मांगी है आजतक कभी मैंने पुनम का चांद नही देखा मैंने उसके माथेपर बिंदी को चमते हुए देखा मैंने उसकी बिंदी देखकर गझल लिखी है आजतक कभी लावा बहते हुए नही देखा मैंने उसके गालोंपर गुलाब खिलते हुए देखा उस गुलाबी रंग ने मेरी ज़िंदगी सजाई है आजतक कभी हवॉ मे सासों को तैरते हुए नही देखा मैंने उसकी आवाज को मुझे छुकर जाते हुए देखा मैंने उसकी आवाज सुनते सुनते ज़िंदगी गुजारी है

कुछ चीखे

आज कल कुछ चीखे मुझे सोने नही देती सपनों मे आकर उन्हका हक्क मांगती कुछ चीखे मुझे सोने नही देती मै उठ जाता हु घर से बाहर निकलता हु बाहर भीड की आवाजे मुझे जीने नही देती आज कल कुछ चीखे मुझे सोने नही देती बहन की बेटी के लिये मैंने खिलोना खरीदा था आज उसकी खामोशी मुझे बोलने नही देती आज कल कुछ चीखे मुझे सोने नही देती मुझे पता नही क्या होगा लेकीन इतना बता दू जो कुछ शेष बचेगा मुझे ढंग से मरने नही देगा... जो कुछ शेष बचेगा मुझे ढंग से मरने नही देगा...