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ऑक्टोबर, २०१७ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

मै समझ सकता हु

ओ स्वर, स्वर नही जो तुम्हारा है लेकीन मै सुन नही सकता ओ बात, बात नही जो तुम्हारी है लेकीन मै समझ नही सकता ओ अक्षर, अक्षर नही जो तुम्हारा है लेकीन मै पढ नही सकता ओ नज़्म, नज़्म नही जो तुम्हारी है लेकीन मै लिख नही सकता ओ वक्त,वक़्त नही जो तुम्हारा है लेकीन मै मेहसूस कर नही सकता ओ सास, सास नही जो तुम्हारी है लेकीन ये दिल पहचान नही सकता ओ चीज, चीज नही जो तुम्हारी है लेकीन मै सीनेपर रख नही सकता

भाई दूज

दिवाली मे आसमान भर आया मेरे आंगण मे नीर भर आया हर बेटी घर की रौनक होती है धुंधली है चमक, ये क्या दौर आया रंगीन दिवारे झगमगा रही है दीप्ती नही बस दीप घर आया धुआ धुआ है हर जगह हर वक्त चलते चलते ये कोनसा शहर आया मै आज अकेला खडा था दर पर इस वक्त खाली हाथ मीर आया इतनी दुर कहा गयी है रोशनी सवाल बार बार जिंदगीभर आया

तुम्हारी यादे

तुम्हारी यादे आसमान मे काले बादल लेकर आती है और तुम्हारी राह देखते देखते जो तारे फुल बनकर मुर्जा गये है उन्ह मे जान डालती है तुम्हारी यादे सीने मे सासोंसी बहती है और इस निरस जिस्म को बेबस दिल को, रुह का एहसास दिलाती है तुम्हारी यादे लब्जसी मतलबी है दोनो को बांधकर रखता हु चार दिवारो मे और ये दिवार ऐसी है की आपनेआप टुट जाती है तुम्हारी यादे आती है आईने पर तुम्हारी तस्विर रखकर चली जाती है और मेरी आखे बस मेरा चेहरा ढुंढती रहती है

बस तुमसे इश्क करते है...

आसमान छोटा करके देखो तारे टुटते नही दिल टुटते है... हवा नही चलती हमारी सासे बहती है अंधेरा नही है यहा यहा हम रहते है यहा चांद नही खिलता तुम्हारा चेहरा चमकता है सुबह हसीन नही है कोई शगुफ्ता है यहा सागर नही है किसी के आसु है ये फूल नही तुम्हारी मुस्कान है बारीश नही भिगोती हमे तुम छुती हो... कोयल के सप्तस्वर नही तुम गाती हो... यहा कौन जी रहा है? हम तो बस तुम्हे देखते है... हम मर नही जाते बस तुमसे इश्क करते है...