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जुलै, २०१७ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

हम इंसान बन गये..

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कुछ जमिन की पीठ पर जल गये कुछ जमिन के पेट मे दब गये कमजोर थे मकान जो टुट गये कमजोर थे जिस्म ओ   बेघर हो गये लहु लावा की तरहा बहता रह गया आसमान काला था कालाही रह गया मरी हुई मा का पल्लू पकडे बच्चा रो रहा था गली गली रंगीन झंडा लहरा रहा था दुऑ से भी बढता धुऑ गहरा था किसी की मौत किसी की अमन का जरिया था कुछ मरते रह गये कुछ मारते रह गये अमन की राह पर सब ऐसेही चलते रह गय्रे कुछही दिनो मे मुझे नयी पहचान मिल गयी मेरे दोस्त पिटर और मेरे बीच नयी दीवार बन गयी धीरे धीरे करिम अब्बू के कंदिल दिवाली मे झगमगाना भुल गये अब रामूचाचा के लड्डूभी रमजान मे स्वाद बिसर गये जानवर थे हम सब, अभी हम इंसान बन गये..

पहली बार

देखा जब तुम्हे पहली बार रास्ते के दाईन ओर जहा भीड थी वहा खडे थे तुम खिलते मोगरे के बाजु मे कुछ बाते कर रहे थे किसी के संग बाते सुनते सुनते हम वहा आये कहा तुम्हारा नाम क्या है? खिलता हुआ मोगरा नि:स्थब्ध हो गया रास्ते का दाईना ओर शांत हो गया इस शांती मे लब्ज शांती से तुम्हारे पास आये होग़े शायद तुम्हारे लब्जों की राह देखते देखते मोगरा फिर से खिलने लगा दाईं ओर रास्ता फिरसे चलने लगा मैने फिरसे पुछा नाम क्या है तुम्हारा तभी मुडकर देखा तुम्हने हमनेभी चुपचुपकर कुछ देखा देखते देखते तुम्हने कुछ कहा हम कुछ बोल दे इतने मे तुम्हने रुख बदला रास्ते के उस ओर आसमान खुला था यहा बादलों का साया था अब साया टुटने लगा बारिश की बुंदे बरसाने लगा बारिश मे शायद तुम कुछ ढुंढ रहे थे ढुंढते ढुंढते उस ओर चले गये उस ओर धीमा उजाला था इस ओर शाम का धीमा अंधेरा था यहा मोगरा भीग गया रास्ता सुमसान हो गया इस माहोल मे तुम दुर जाने लगे पानी की धार मे तुम्हारे कदमों के निशाण अपनी राह बनाकर चले गये.. हर सुबह रोशनी क्षितिज के उसपर आती है आखों के दरारों मे अपना आशियाना बनती है हम भी आते है हर

यहा इंसान इंसान बन जाता है.

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दो सासो के बीच का ये ठहराव यहा कही खो गया है.. धडकनों ने यहा लहरों का पहनावा पहन लिया है.. यहा ना कोई सरहद है, ना है इंसानी दिवार.. यहा है जिंदगी के अंग बेशुमार.. फिर भी कुछ अधुरा है, सागर से दुर जानेवाली भाप का अधुरापन, आसमान मे बुजनेवाले चिरागों का अधुरापन, कही ओर रहनेवाली जिंदगी का अधुरापन.. रात ऐसेही बढती रहती है सुबह के इंतेजार मे.. उस रात का अधुरापन.. इन्ह सब मे मै हैराण हो गया हु.. ठंडी हवा बह रही है या कोई छु रहा है? बादल शर्मा रहे है या ओढनी उड रही है किसी की? यहा सच मे अंधेरा है या मेरी ही ऑखे बंद है? मै सच मे हैराण हु.. यहा कौन अनंत है? थोडी दुरी पर आसमान का अंत है मेरे दिल मे भी एक दिगंत है वक़्त के साथ अफताब भी यहा रुक जाता है यहा जिंदा रहकर भी इंसान इंसान बन जाता है.