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मार्च, २०१८ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

Unknown...

दुर रहकर भी ऑखो मे बस जाता है उसका चेहरा आसमान बन जाता है ओ बाते बिना सोचे समझे करती है उसे क्या पता ‘ये’ सासे ‘उन्ह’ बातोंपर चलती है ओ ढूंढ रही है मृगतृष्णा रेगिस्तान मे और यहा मेरी आखे दरीया बन जाती है दिया जलाने का बहुत शौक था मगर उसका साथ हो तो यहा रात दिखती नही है अब ओ नही है यहा मिट्टी बार बार बता रही है फिर भी न जाने क्यु हवा खाक छान रही है

.... तो जान जाएगी

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ये शाम तुझे भी इजाजत मिल जाएगी किसी शाम तुझे भी मोहब्बत मिल जाएगी एक सास मे इतना नजदीक आया हु की दुर जाते जाते पुरी जिंदगी गुजर जाएगी नये शहर गये हो तुम चांद चमक गया होगा अब पुरानी बस्ती अंधेरे मे बिखर जाएगी पलकों का ये खेल नब्जों से मिलता है नजर झुक जायेगी तो धडकन रुक जाएगी मिट्टी ने कहा था मुझसे इश्क जालिम होता है मुझे क्या पता हकीकत अश्को मे भिग जाएगी सो रहा था मै जब खुदा आया था दर पर मेहफिल से तुम चले जाओगे तो जान जाएगी

It's not good bye.. It's see you later..

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तुम सब एक अनमोल कहानी साथ लेकर जा रहे हो जिसमे है आमोद, आनंद उत्कर्ष और पुल्किता जिसमे है शाम सी अरुनिमा जो साथ रहेगी उम्रभर जैसे साथ रहता है आयुष तुम सब एक अनमोल कहानी साथ लेकर जा रहे हो एक कहानी अफ्ताब सी ओजस्वी नम्रता सी नम्र मृणालसी शांत भवानी, रेवा, भाव्या और आर्या सी रौद्र हिमाद्री सी शीतल सुशांत सी विचारशील अर्चाना सी एकाग्र सोने से भी उज्वल रेश्मा शी रेशमी तुम सब एक ऐसी कहानी साथ लेकर जा रहे हो एक ऐसी कहानी जिसमे मीरा का प्यार हो हरी का विश्वरूप हो ऋत्विक सा ध्यान हो सिम्रन का चिंतन हो लक्ष्मी का प्रतिक हो श्रीपर्ना की उज्वलता हो श्रेया का दिप हो अंजली सा आदर हो दिव्या की दिव्यता हो... जो जस्मिन की खुशबू से पारुल की खुबसुरती से सुरभी की महक से मीनाक्षी की सुंदरता से तन्वी की मासुमियत से सोफिया की नजाकत से एकरूप हो गयी हो एक ऐसी कहानी तुम सब लेकर जा रहे हो इस कहानी की कोई एक भाषा नही है इसमे समाये है हजारो लब्ज तपाब्रता, देबारती से लेकर प्रिस्कीला, श्रीकुट्टी तक हर लब्ज इस मे बसा है... हजारो भाव है फिर भी एक साथ रहने की मान

Happy International Women's Day

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कल अखबार के आखरी पन्ने पर एक खबर थी स-बारा साल की शरणार्थी मॉ की तस्विर थी खबर मुश्किल से एक दो इंच बडी थी बाजु मे एक विज्ञापन भी था आधे पन्ने से भी बडा जिसमे महिलाओं के आत्मसन्मान के बारे मे लाल-पिले-निले रंगो मे बहुत कुछ लिखा था.. ओ अखबार पढकर मैंने रद्दी मे डाल दिया.. पापा ने कहा - ‘कल से English Paper शुरु करते है रद्दी को अच्छा भाव मिलेगा’ आज English Paper मे front page पर एक News है – ‘Hollywood के किसी बडे producer ने किया सो-दो सो नायिकाओं का यौन शोषण’ मैंने सोचा दुनियाभर मे यही हाल है यहा रद्दी की इज्जत भी इन्हकी इज्जत से बडी है.. अब कल के अखबार मे अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बडे बडे लेख लिखे जायेंगे चिंतन होगा, तारीफ होगी लम्बे लम्बे भाषण किये जायेंगे लेकीन उस बारा साल की मा इन्ह सब से दुर अपने बच्चे को दुध पिलाती होगी यहा से कई दुर एक पिडीत लडकी आत्म सन्मान के लिये लढती होगी... और हम United Nation से लेकर पंचायत तक इन्हकी इज्जत और आत्म सन्मान को सलाम दे कर इन्हकी इज्जत और आत्म सन्मान दफ्तरों मे बंद कर देंगे इस दिन भी छुट्टी मिल