आजतक

आजतक कभी आसमान मे
टुटता तारा नही देखा
मैंने उसकी आखो मे
काजल फैलते हुए देखा...
मैंने उसकी आखे देखकर मन्नते मांगी है

आजतक कभी मैंने
पुनम का चांद नही देखा
मैंने उसके माथेपर
बिंदी को चमते हुए देखा
मैंने उसकी बिंदी देखकर गझल लिखी है

आजतक कभी
लावा बहते हुए नही देखा
मैंने उसके गालोंपर
गुलाब खिलते हुए देखा
उस गुलाबी रंग ने मेरी ज़िंदगी सजाई है

आजतक कभी हवॉ मे
सासों को तैरते हुए नही देखा
मैंने उसकी आवाज को
मुझे छुकर जाते हुए देखा
मैंने उसकी आवाज सुनते सुनते ज़िंदगी गुजारी है

टिप्पण्या

या ब्लॉगवरील लोकप्रिय पोस्ट

हम इंसान बन गये..

It's not good bye.. It's see you later..

Atheist having spiritual experience