पिछले कुछ सात दिन

सात दिन का ये अंधेरा इतना गहरा था
कि सदियों से सुरज छुपा हो बादलों के पिछे
दिल पे धूल जमी थी
तेरी आखों की रोशनी ने
दिल फिर से साफ कर दिया
तेरी आंखे ऐसी
कि मानो कली ने घुंघट को हलकेसे ओढ लिया हो
जब बंद होती है तो फुल पर खिले तितली कि तरहा मासूम  
और खुलं जाये तो रंगो के खुशबूदार झरणे की तरहा शादाब
जिसमे बह जाये कोई भी
इन्ह बालो का आखो पर झुमना
हवा के साथ लढना, खेलना हसना
इन्ह अदाओ का कुछ हिस्सा
सुबह ने दिगंत पर रखा है
जहा आकाश भी नही जा सकता
पिछले कुछ सात दिनो में सब रुक गया था 
अब जिंदगी का एहसास हो रहा  है
तेरा सामने होना
दुरी के गमसे, मेरी तन्हाई के दर्दसे
कहीं गुणा हसीन खूबसूरत है..
पर जाना है तुझे भी, मुझे भी
वक्त की नजाकत पर चूप रहना ही ठीक होगा



  



  

टिप्पण्या

या ब्लॉगवरील लोकप्रिय पोस्ट

हम इंसान बन गये..

It's not good bye.. It's see you later..

Atheist having spiritual experience