आधी गजल

निंद को लिपटकर सोता हूँ मै
जैसे तुम्हे बाहो मे लेता हूँ मै

बिखर गया है यादों का ढांचा
जोडकर उन्हे कंकाल बनाता हूँ मै

तुम्हारे घुस्से की लत लग गयी
तुम्हारी आवाज मे डाटता हूँ मै

तुम सिर्फ तुम, और कुछ नही
कुछ ऐसा ही नशा करता हूँ मै

मंदिरों मे बंद खामोश है विवेक
और तुम्हे मेहसूस करता हूँ मै


continued


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