इस वक्त....

अंधेरे मे यु ही अकेले चलने का मन नही कर रहा 
तेरी याद को खामोश करने का मन नही कर रहा 

सिसकी भर के टूटी दिवारों ने पुछा उदासी का सबब 
मैने कहा अब खिडकी खोलने का मन नही कर रहा 

तेरे कंगन का नुकीला टुकडा अटका है सीने मे  
तेरी आखरी निशानी मिटाने का मन नही कर रहा 


हर दिन चलती है छुपी खोज दिमाग मे दिवानगी पर 
धडकते दिल से तेरा नाम लेने का मन नही कर रहा   

तेरे आंगन मे दफनाया मेरा प्यार जिंदा है अभीभी 
इस वक्त उसका कत्ल करने का मन नही कर रहा 

यहां खुदा भी मिलता है भीख मे  तू क्या चीज है  
पर खोये हुए विवेक को ढूंडने का मन नही कर रहा



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