अच्छी नही

कोई अंजाना आये और रुलाये ऐसी खामोशी अच्छी नही
बेवजहा कोई हसाये यहा ऐसी बेफिक्री अच्छी नही

कुछ लोग जलाते है मंजिल हर एक की
यहा भी चिंगारी जल जाये ऐसी बेपरवाई अच्छी नही

काले बादल कहा से क्यु आये यहा अचानक
बंद पलकों से बारिश आये ऐसी विरानगी अच्छी नही

एक भी पंछी नही है इस हरे पेड पे
घर से दुर जाये ऐसी रुसवाई अच्छी नही

दुर दुर तक कोई नही है इस रास्ते पर
मिट्टी भी पत्थर बन जाये ऐसी तन्हाई अच्छी नही

सदियों से उठा रहा हु विवेक को मै
अपनी सोच ही खो जाये ऐसी आवारगी अच्छी नही

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