कहाणी

ना ये साजिश है
ना ये है इत्तेफाक
ये तो बस एक कहाणी है
किसीने तो बनायी हुयी
इस में राम भी है, सीता भी
लैला भी और मजनू भी
मिर्झा भी है और साहिबां भी

अब पुर्णिमा का चांद अमावस की तरफ जा रहा है
इस कहाणी का अंत आया है
कहाणी? दास्तान है ये
अभी हिर का रांझा ये कौनसा अमृत गया?
हिर के बाहों में अब खामोश हो गया

कलम की स्याही सुक क्यु नही गयी अंत में
अंधरा ही क्यु है यहा दिन के बाद
कौन है यहा मुन्सिफ?
काली मसि का ये धब्बा जायेगा कब?
अब लोग प्यार करना ही भुल गये..
लोग समझदार बन गये..
लोग आज कल काला कुर्ता पहनते है..

टिप्पण्या

या ब्लॉगवरील लोकप्रिय पोस्ट

हम इंसान बन गये..

It's not good bye.. It's see you later..

Atheist having spiritual experience